मैं अपना टेप रिकार्डर खोलती हूं, इसमें उन सच्ची औरतों की आवाजें हैं, जो नि:शंक भाव से मानती हैं कि जरूरी नहीं, पति ही उनके बच्चों का पिता हो…ये पंक्तियां हैं मैत्रेयी पुष्पा के एक लेख की। उनके उपन्यासों की स्त्री इतनी बेबाक है कि समाज के ठेकेदारों को कई बार निर्लज्ज भी नज़र आने लगती है। हालांकि, मैत्रेयी अपने पात्रों के ऐसे नामकरण का सख्ती से प्रतिकार करती हैं। अल्मा कबूतरी, चाक, कस्तूरी कुंडल बसै, इदन्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत न्नमम और हालिया चर्चा में आई कही ईसुरी फाग समेत तकरीबन 14 साल में 13 रचनाएं लिख चुकी पुष्पा ने माना कि स्त्री विमर्श के क्षेत्र में सक्रिय अन्य महिला साहित्यकारों के वे सीधे निशाने पर हैं, साथ ही उन्होंने यह भी बताया, ऐसा क्या है, जिसकी वजह से वह कड़वा-कड़वा लिखने को मजबूर हो जाती हैं? प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख